Published on: 28 Nov 2025
कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग द्वारा साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित।
इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय, मीरपुर, रेवाड़ी के कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग द्वारा ‘साइबर सुरक्षा’ विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता शैक्षणिक मामले प्रोफेसर सुनील कुमार ने सेमिनार के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है और इस प्रकार के कार्यक्रम विद्यार्थियों को नई तकनीकों के प्रति सजग बनाते हैं। उन्होंने विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि साइबर जागरूकता अब हर छात्र की मूल आवश्यकता बन चुकी है। उन्होंने विद्यार्थियों को डिजिटल अनुशासन और सुरक्षित ऑनलाइन व्यवहार अपनाने की सलाह दी। कार्यक्रम की शुरुआत में संयोजक एवं नोडल अधिकारी प्रो. सविता श्योरण ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया और सेमिनार के उद्देश्य एवं महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों को साइबर अपराधों की नवीन प्रवृत्तियों, डेटा सुरक्षा और ऑनलाइन खतरों के प्रति जागरूक किया। उन्होंने बताया कि बढ़ती डिजिटल गतिविधियों के कारण जागरूकता और सतर्कता आज की प्रमुख आवश्यकता है। कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य वक्ता साइबर क्राइम, रेवाड़ी के SHO श्री फूल कुमार ने डिजिटल अरेस्ट, फिशिंग, फर्जी लिंक, पहचान चोरी और ऑनलाइन ठगी जैसे मामलों के वास्तविक उदाहरण साझा किए। उन्होंने छात्रों को मजबूत पासवर्ड, टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन और संदिग्ध संदेशों से बचने जैसे सुरक्षा उपायों को अपनाने की सलाह दी। उन्होंने विद्यार्थियों को साइबर अपराध से संबंधित विस्तृत जानकारी वाला एक पैम्फलेट भी प्रदान किया, जिसमें ऑनलाइन सुरक्षा और शिकायत प्रक्रिया से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु शामिल थे। उन्होंने विद्यार्थियों को जागरूक किया कि कैसे साइबर अपराधी भोले-भाले लोगों को बहला-फुसलाकर अनजाने में अपराध में शामिल कर देते हैं।
सेशन के दौरान सब-इंस्पेक्टर प्रिंस सोनी ने छात्रों को विभिन्न मोबाइल ऐप्स और वेबसाइटों जैसे M-Kavach, TAFCOP, HarSamay आदि के बारे में बताया, जिनके माध्यम से साइबर अपराध की रिपोर्ट दर्ज की जा सकती है तथा तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित की जा सकती है। इन प्लेटफॉर्म्स की मदद से विद्यार्थी अपने मोबाइल नंबर की सुरक्षा, संदिग्ध गतिविधियों की पहचान और ऑनलाइन धोखाधड़ी की शिकायत आसानी से कर सकते हैं। उन्होंने छात्रों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के विस्तार से उत्तर दिए और उन्हें विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों से बचाव हेतु आवश्यक सावधानियों के बारे में बताया। उन्होंने सोशल इंजीनियरिंग और ऑनलाइन धोखाधड़ी की पहचान करने के आसान तरीके साझा किए। साथ ही सुरक्षित ब्राउज़िंग और संदिग्ध कॉल व संदेशों से सतर्क रहने जैसे महत्वपूर्ण रोकथाम उपाय भी बताए, जिससे विद्यार्थी अपनी डिजिटल सुरक्षा को और सुदृढ़ बना सकें। सेमिनार में साइबर कानूनों, डिजिटल सुरक्षा के मूल सिद्धांतों और व्यक्तिगत डेटा संरक्षण पर भी विस्तृत चर्चा हुई। वक्ताओं ने बताया कि छोटी-सी सावधानी बड़े साइबर हमलों से बचा सकती है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी साइबर फ्रॉड की स्थिति में राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर तुरंत कॉल करके शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। इन प्लेटफॉर्म्स और हेल्पलाइन की मदद से छात्र अपने मोबाइल नंबर की सुरक्षा, संदिग्ध गतिविधियों की पहचान और ऑनलाइन ठगी की शिकायत आसानी से कर सकते हैं। साइबर क्राइम की टीम के साथ ASI चरण सिंह एवं हेड कांस्टेबल अमरजीत उपस्थित रहे। सेमिनार का मंच संचालन डॉ. रीना हुड्डा द्वारा किया गया। अंत में डॉ. अशोक कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव रखते हुए सभी अतिथियों, वक्ताओं, संकाय सदस्यों और विद्यार्थियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और सेमिनार सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।